Lyrics
साँसों के किसी एक मोड़ पर
मिली थी तू ज़िंदगी, मेरी दोस्त बन के
चल दिया तेरी बात मानकर
तेरा हाथ थामकर, तुझे साथी चुन के
मैं किस मंज़िल का राही हूँ?
तू किन राहों पे लाई है?
समझ पाऊँ ना मैं तुझ को, ना तू मुझ को
जो ना-मंज़ूर है मुझ को
वही मंज़ूर है तुझ को
समझ पाऊँ ना मैं तुझ को, ना तू मुझ को
जो ले लिया था तूने फ़ैसला
ज़मीं पे, आसमाँ में रख दिया
मैं छाँव में लपेटे धूप को
कहा जो तूने, कहना कर दिया
चला मैं अपनी मंज़िल को
जा, तू भी लौट जा घर को
समझ पाऊँ ना मैं तुझ को, ना तू मुझ को
जो ना-मंज़ूर है मुझ को
वही मंज़ूर है तुझ को
समझ पाऊँ ना मैं तुझ को, ना तू मुझ को
Writer(s): Manoj Yadav, Aheer For Jam8
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