Lyrics

फ़िर से वही ये समाँ चेहरे वही, बदली ज़ुबाँ ख़ुद-ग़र्ज़ है ये दस्तूर-ए-जहाँ ऐ ग़म-ए-दोस्त, तू है कहाँ? सोचता हूँ, "क्यूँ चेहरा है नक़ाब?" अजनबी है तू, फ़िर कौन दिल-नवाज़? ना मिला है वो सुकून-ए-दिल, मिला जहाँ है कश्मकश बे-इंतिहा ये सिलसिले क्यूँ ख़्वाह-मख़ाह? ख़ाली हैं दिल अपने, ऊँचे मकाँ ऐ ग़म-ए-दोस्त, तू है कहाँ? सोचता हूँ, "क्यूँ चेहरा है नक़ाब?" अजनबी है तू, फ़िर कौन दिल-नवाज़? ना मिला है वो सुकून-ए-दिल, मिला जहाँ रस्ते वहीं और हम रवाँ ख़ुद-ग़र्ज़ है ये दस्तूर-ए-जहाँ ऐ ग़म-ए-दोस्त, तू है कहाँ? सोचता हूँ, "क्यूँ चेहरा है नक़ाब?" अजनबी है तू, फ़िर कौन दिल-नवाज़? ना मिला है वो सुकून-ए-दिल, मिला जहाँ
Writer(s): The Local Train Lyrics powered by www.musixmatch.com
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