Titres les plus populaires de K. Mohan
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INTERPRÉTATION
K. Mohan
Interprète
COMPOSITION ET PAROLES
Indraadip Das Gupta
Composition
Paroles
बोलो, श्री हनुमान की (जय)
पवनसुत हनुमान की (जय)
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुर सुधारि
बरनऊ रघुवर विमल यश जो दायक फल चारि
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु क्लेश विकार
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा
महाबीर विक्रम बजरंगी
महाबीर विक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुँचित केसा
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेऊ साजे
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जगवंदन
विद्यावान गुनी अति चातुर
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मनबसिया
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचंद्र के काज सँवारे
लाय सजीवन लखन जियाए
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुबीर हरषि उर लाए
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहिं सम भाई
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
सहस बदन तुम्हरो जस गावै
सहस बदन तुम्हरो जस गावै
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा
ओ, माझी रे
मोरे नैया पार लगा दे रे
ओ, माझी रे
मोरे नैया पार लगा दे रे
पार लगा दे, पार लगा दे, पार लगा दे रे
पार लगा दे, पार लगा दे, पार लगा दे रे
पार लगा दे, पार लगा दे, पार लगा दे रे
पार लगा दे, पार लगा दे, पार लगा दे रे
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
जलधि लाँघि गए अचरज नाही
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
राम दुआरे तुम रखवारे
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनू पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहू को डरना
आपन तेज सम्हारो आपै
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक ते काँपै
भूत पिशाच निकट नहि आवै
महाबीर जब नाम सुनावै
ओ, माझी रे
मोरे नैया पार लगा दे रे
ओ, माझी रे
मोरे नैया पार लगा दे रे
लगा दे, पार लगा दे
अरे, पार लगा दे, पार लगा दे, पार लगा दे रे
पार लगा दे, पार लगा दे, पार लगा दे रे
पार लगा दे, पार लगा दे, पार लगा दे रे
पार लगा दे, पार लगा दे, पार लगा दे रे
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
नासै रोग हरे सब पीरा
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा
संकट से हनुमान छुड़ावै
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै
सब पर राम तपस्वी राजा
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोइ अमित जीवन फल पावै
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
चारों जुग परताप तुम्हारा
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे
अष्ट सिद्धी नौ निधि के दाता
अष्ट सिद्धी नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
तुम्हरे भजन राम को भावै
तुम्हरे भजन राम को भावै
जनम-जनम के दुख बिसरावै
अंतकाल रघुवर पुर जाई
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई
और देवता चित्त ना धरई
और देवता चित्त ना धरई
हनुमत सेई सर्व सुख करई
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
जै जै जै हनुमान गोसाई
जै जै जै हनुमान गोसाई
कृपा करहु गुरु देव की नाई
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय)
(बोलो, श्री हनुमान की जय)
(पवनसुत हनुमान की जय) ओ, माझी रे
(बोलो, श्री हनुमान की जय) मोरे नैया
(पवनसुत हनुमान की जय) पार लगा दे रे
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहुँ सुर भूप
बोलो, श्री हनुमान की (जय)
पवनसुत हनुमान की (जय)
बोलो, श्री हनुमान की जय
Writer(s): Ravi Sharma, Shri Shyam Manohar Goswamy
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