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Tere Khayal Ki | Jagjit Singh Ghazals | Gulzar | Lyrical Video | Ghazal Collection | Sad Ghazals
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クレジット

PERFORMING ARTISTS
Jagjit Singh
Jagjit Singh
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Jagjit Singh
Jagjit Singh
Composer
Gulzar
Gulzar
Songwriter

歌詞

ख़ुमार-ए-ग़म है, महकती फ़िज़ा में जीते हैं ख़ुमार-ए-ग़म है, महकती फ़िज़ा में जीते हैं तेरे ख़याल की आब-ओ-हवा में जीते हैं ख़ुमार-ए-ग़म है, महकती फ़िज़ा में जीते हैं बड़े इत्तिफ़ाक़ से मिलते हैं मिलने वाले मुझे बड़े इत्तिफ़ाक़ से मिलते हैं मिलने वाले मुझे वो मेरे दोस्त हैं, तेरी वफ़ा में जीते है तेरे ख़याल की आब-ओ-हवा में जीते हैं ख़ुमार-ए-ग़म है, महकती फ़िज़ा में जीते हैं फ़िराक़-ए-यार में साँसों को रोक के रखते हैं फ़िराक़-ए-यार में साँसों को रोक के रखते हैं हर एक लम्हा गुज़रती क़ज़ा में जीते हैं तेरे ख़याल की आब-ओ-हवा में जीते हैं ना बात पूरी हुई थी कि रात टूट गई ना बात पूरी हुई थी कि रात टूट गई अधूरे ख़्वाब की आधी सज़ा में जीते है तेरे ख़याल की आब-ओ-हवा में जीते हैं ख़ुमार-ए-ग़म है, महकती फ़िज़ा में जीते हैं तुम्हारी बातों में कोई मसीहा बसता है तुम्हारी बातों में कोई मसीहा बसता है हसीं लबों से बरसती शिफ़ा में जीते हैं तेरे ख़याल की आब-ओ-हवा में जीते हैं ख़ुमार-ए-ग़म है, महकती फ़िज़ा में जीते हैं तेरे ख़याल की आब-ओ-हवा में जीते हैं
Writer(s): Jagjit Singh, Gulzar Lyrics powered by www.musixmatch.com
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