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クレジット
PERFORMING ARTISTS
Jagjit Singh
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Mirza Ghalib
Songwriter
PRODUCTION & ENGINEERING
Jagjit Singh
Producer
歌詞
दिल-ए-नादाँ, तुझे हुआ क्या है?
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़-ए-बयाँ और
ग़ालिब ग़ज़ल के सरताज थे और हैं
उनका कलाम आज भी उतना ही ताज़ा लगता है
जितना उनके अपने दौर में था
उनका मुहावरा और बयान आज के दौर में भी modern लगता है
इसलिए गायकों के लिए ग़ालिब सदाबहार हैं
वो किसी भी लिबास में सज जाते हैं
Jagjit ने उन्हें modern orchestra के साथ record किया
दिल ही तो है, ना संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर ना आए क्यूँ
दिल ही तो है, ना संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर ना आए क्यूँ
रोएँगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यूँ
दिल ही तो है, ना संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर ना आए क्यूँ
क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं
क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं
मौत से पहले आदमी ग़म से निजात पाए क्यूँ
दिल ही तो है, ना संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर ना आए क्यूँ
दैर नहीं, हरम नहीं, दर नहीं, आस्ताँ नहीं
दैर नहीं, हरम नहीं, दर नहीं, आस्ताँ नहीं
बैठे हैं रहगुज़र पे हम, ग़ैर हमें उठाए क्यूँ
रोएँगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यूँ
'ग़ालिब'-ए-ख़स्ता के बग़ैर कौन से काम बंद हैं
'ग़ालिब'-ए-ख़स्ता के बग़ैर कौन से काम बंद हैं
रोइए ज़ार-ज़ार क्या, कीजिए हाए-हाए क्यूँ
दिल ही तो है, ना संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर ना आए क्यूँ
रोएँगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यूँ
Writer(s): Mirza Ghalib, Jagjit Singh
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