Lyrics

कभी दिल के क़रीब तुम्हें मेरे नसीब यूँ लाएँगे, सोचा ना था एक चाहत का पल, सब सवालों का हल यूँ पाएँगे, सोचा ना था कभी दिल के क़रीब... आँखें जो अब मेरी आँखों में हैं ढूँढ रहा था कई सालों से हो, आँखें जो अब मेरी आँखों में हैं ढूँढ रहा था कई सालों से कितनी मिलती हैं आँखें ये ख़्वाबों से, मेरे ख़यालों से कि हक़ीक़त में हम सपनों का सनम यूँ पाएँगे, सोचा ना था कभी दिल के क़रीब तुम्हें मेरे नसीब... कभी तनहा बैठे-बैठे यूँ ही पल में ही मैं गुम हो जाती थी कभी तनहा बैठे-बैठे यूँ ही पल में ही मैं गुम हो जाती थी मैं भी कहाँ मैं रहती थी अक्सर मैं तुम हो जाती थी ये अजब सी ख़ता और इसकी सज़ा यूँ पाएँगे, सोचा ना था कभी दिल के क़रीब तुम्हें मेरे नसीब यूँ लाएँगे, सोचा ना था एक चाहत का पल, सब सवालों का हल यूँ पाएँगे, सोचा ना था
Writer(s): Irshad Kamil Lyrics powered by www.musixmatch.com
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