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waqt ka yeh parinda ruka hai kahan Singer JASWSNT SINGH
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Credits

PERFORMING ARTISTS
Jaswant Singh
Jaswant Singh
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Nikhil Vinay
Nikhil Vinay
Composer
Yogesh
Yogesh
Lyrics

Lyrics

वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ मैं था पागल जो इसको बुलाता रहा चार पैसे कमाने मैं आया शहर गाँव मेरा मुझे याद आता रहा गाँव मेरा मुझे याद आता रहा वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ मैं था पागल जो इसको बुलाता रहा चार पैसे कमाने मैं आया शहर गाँव मेरा मुझे याद आता रहा गाँव मेरा मुझे याद आता रहा वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ लौटता था मैं जब पाठशाला से घर अपने हाथों से खाना खिलाती थी माँ रात में अपनी ममता के आँचल तले थपकियाँ देके मुझको सुलाती थी माँ सोच के दिल में एक टीस उठती रही रात-भर दर्द मुझको जगाता रहा चार पैसे कमाने मैं आया शहर गाँव मेरा मुझे याद आता रहा गाँव मेरा मुझे याद आता रहा वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ सबकी आँखों में आँसू छलक आए थे जब रवाना हुआ था शहर के लिए कुछ ने माँगीं दुवाएँ कि मैं ख़ुश रहूँ कुछ ने मंदिर में जाकर जलाए दिए एक दिन मैं बनूँगा बड़ा आदमी ये तसव्वुर उन्हें गुदगुदाता रहा चार पैसे कमाने मैं आया शहर गाँव मेरा मुझे याद आता रहा गाँव मेरा मुझे याद आता रहा वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ माँ ये लिखती है हर बार ख़त में मुझे "लौट आ मेरे बेटे, तुझे है क़सम तू गया जब से परदेस, बेचैन हूँ नींद आती नहीं, भूख लगती है कम" कितना चाहा ना रोऊँ, मगर क्या करूँ ख़त मेरी माँ का मुझको रुलाता रहा चार पैसे कमाने मैं आया शहर गाँव मेरा मुझे याद आता रहाँ गाँव मेरा मुझे याद आता रहाँ वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ मैं था पागल जो इसको बुलाता रहा चार पैसे कमाने मैं आया शहर गाँव मेरा मुझे याद आता रहा गाँव मेरा मुझे याद आता रहा गाँव मेरा मुझे याद आता रहा गाँव मेरा मुझे याद आता रहा
Writer(s): Nikhil-vinay, Yogesh Lyrics powered by www.musixmatch.com
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