Lyrics

नहीं रखता दिल में कुछ, रखता हूँ ज़ुबाँ पर समझे ना अपने भी कभी कह नहीं सकता मैं क्या सहता हूँ छुपा कर एक ऐसी आदत है मेरी सभी तो हैं, जिनसे मिलता हूँ सही जो है, इनसे कहता हूँ, जो समझता हूँ मैंने देखा नहीं रंग, दिल आया है सिर्फ़ अदा पर एक ऐसी चाहत है मेरी बहारों के घेरे से लाया मैं दिल सजा कर एक ऐसी सोहबत है मेरी साए में छाए रहता हूँ आँखें बिछाए रहता हूँ, जिनसे मिलता हूँ कितनों को देखा है हमने यहाँ कुछ सीखा है हमने उनसे नया पहले फ़ुरसत थी, अब हसरत है समाकर एक ऐसी उलझन है मेरी खुद चल के रुकता हूँ जहाँ-जिस जगह पर एक ऐसी सरहद है मेरी कहने से भी मैं डरता हूँ अपनों के धुन में रहता हूँ, कर क्या सकता हूँ? दे सकता हूँ मैं थोड़ा प्यार यहाँ पर जितनी हैसियत है मेरी रह जाऊँ सब के दिल में दिल को बसाकर एक ऐसी नीयत है मेरी हो जाए तो भी राज़ी हूँ खो जाऊँ तो मैं बाक़ी हूँ, यूँ समझता हूँ रस्ते ना बदले, ना बदला जहाँ फिर क्यूँ बदलते क़दम हैं यहाँ?
Writer(s): Lucky Ali, Syed Aslam Lyrics powered by www.musixmatch.com
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