Lyrics
दिल का तन्हा परिंदा फिर से उड़ने चला है
जादू मैंने किया ये या फिर मुझपे चला है?
पहला तो नहीं, पर तुम इश्क़ हो आख़िरी
दर पे अब तुम्हारे होगी मेरी हर दिन हाज़िरी
जादूगरी फिर इश्क़ ने की
बढ़ने लगीं ख़ुश-फ़हमियाँ
जादूगरी फिर इश्क़ ने की
उड़ता फ़िरूँ बे-आसमाँ
तुम हो जो राज़ी, मेहमाँ-नवाज़ी यूँ ही करता रहूँ
चाँद का कंगन, तारों का एक वन दामन में ला रखूँ
ज़िंदगी से फिर कुछ ना माँगूँ मैं, जो तुम हो हासिल मुझे
पहला तो नहीं, पर तुम इश्क़ हो आख़िरी
दर पे अब तुम्हारे होगी मेरी हर दिन हाज़िरी
जादूगरी फिर इश्क़ ने की
बढ़ने लगीं ख़ुश-फ़हमियाँ
जादूगरी फिर इश्क़ ने की
उड़ता फ़िरूँ बे-आसमाँ
Writer(s): Nilotpal Bora
Lyrics powered by www.musixmatch.com