Credits
PERFORMING ARTISTS
Narci
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Shanti Swaroop
Composer
Lyrics
जिसे एक बार जीवन में प्रभु का प्यार मिलता है
उसे बस आँसुओं के हार का उपहार मिलता है
और ना पूछो, दिल की उस बेकली का हाल मत पूछो
ना तन से प्राण जाते हैं, ना प्राणाधार मिलता है
भला, किसको दिखाएँ मर्ज़ की बढ़ती हुई मंज़िल
ना कोई वैद्य मिलता है, ना कुछ उपचार मिलता है
पतितों के तारने के क़िस्से पड़े पुराने
पतितों के तारने के क़िस्से पड़े पुराने
क्या इक नयी कहानी तैयार अब ना होगी?
क्या इक नयी कहानी तैयार अब ना होगी?
हे नाथ, क्या ये विनती स्वीकार अब ना होगी?
हे नाथ, क्या ये विनती स्वीकार अब ना होगी?
गीतों में दिखेंगे भीगे नयन
तेरे ही गीतों का किया चयन
वादों के काँटों पे फँसा ये दिल
चाहता है पैरों पे तेरे शयन
पन्नों पे बसे हैं सिया के वर
पूरे भरोसे से किया है सर
नीचे मैंने प्रभु के आगे
तभी तो हाथों को दिया है वर
अपने भी देखो, क्या करते कमाल
आशा की मेरी बुझाते मशाल
उनको मैं करूँगा क्या ही, हाँ, सिद्ध
भक्ति पे जो भी उठाते सवाल
काले समय की ना भाती ना रुत
काटे हैं चुप मैंने आधे ये दुख
बाँटें हैं सुख, हम गाते हैं दुख
और दिल ये पुकारेगा, आदिपुरूष
बाक़ी हुकुम उन्हीं का मानूँ मैं
लोगों के छलों को कैसे पहचानूँ मैं?
लोगों के हाथों में खेला भी जाता हूँ
जाता हूँ फँस झूठे बहानों में
छुपे हैं गानों में पीड़ा के ढेर
तेरे ही बंदों ने दिया बेखेर
करूँगा क्या मैं, मेरे प्रभु
'गर तूने भी लिया जो चेहरे को फेर
हे नाथ, क्या ये विनती स्वीकार अब ना होगी?
हे नाथ, क्या ये विनती स्वीकार अब ना होगी?
हे नाथ, क्या ये विनती स्वीकार अब ना होगी?
हे नाथ, क्या ये विनती स्वीकार अब ना होगी?
प्रभु, बताता हूँ मेरी अरज
कली के काँटों, ये सभी बरस
दे दो आज़ादी इस धरा से तुम
नैना ये भीगे भी गए तरस
प्रभु, है राहों की सारी ख़बर
खोया है फिर भी ये राही मगर
वैसे भी ज़िंदा बना हूँ लाश
तो साँसों के जाने का क्या ही है डर
पीड़ा का दिल पे है पूरा असर
तभी तो पहुँचा हूँ तेरे मैं दर
पास बुलाने की ठानी है अगर
तू ना इरादा ये देना बदल
कली के समय में जीने में पीड़
बहते हुए ये आँसू भी पीने में लीन
पीड़ा में लेटा हूँ लगे ये राम
श्रवण के जैसे सीने में हैं तीर
बाक़ी हुकुम उन्हीं का मानूँ मैं
लोगों के छलों को कैसे पहचानूँ मैं?
लोगों के हाथों में खेला भी जाता हूँ
जाता हूँ फँस झूठे बहानों में
छुपे हैं गानों में पीड़ा के ढेर
तेरे ही बंदों ने दिया बेखेर
करूँगा क्या मैं, मेरे प्रभु
'गर तूने भी लिया जो चेहरे को फेर
हे नाथ, क्या ये विनती स्वीकार अब ना होगी?
हे नाथ, क्या ये विनती स्वीकार अब ना होगी?
हे नाथ, क्या ये विनती स्वीकार अब ना होगी?
हे नाथ, क्या ये विनती स्वीकार अब ना होगी?
बाक़ी हुकुम उन्हीं का मानूँ मैं
लोगों के छलों को कैसे पहचानूँ मैं?
लोगों के हाथों में खेला भी जाता हूँ
जाता हूँ फँस झूठे बहानों में
छुपे हैं गानों में पीड़ा के ढेर
तेरे ही बंदों ने दिया बेखेर
करूँगा क्या मैं, मेरे प्रभु
'गर तूने भी लिया जो चेहरे को फेर
बाक़ी हुकुम उन्हीं का मानूँ मैं (वहे नाथ, क्या ये विनती)
लोगों के छलों को कैसे पहचानूँ मैं?
लोगों के हाथों में खेला भी जाता हूँ (स्वीकार अब ना होगी?)
जाता हूँ फँस झूठे बहानों में
छुपे हैं गानों में पीड़ा के ढेर (हे नाथ, क्या ये विनती)
तेरे ही बंदों ने दिया बेखेर
करूँगा क्या मैं, मेरे प्रभु (स्वीकार अब ना होगी?)
'गर तूने भी लिया जो चेहरे को फेर
जिसे एक बार जीवन में प्रभु का प्यार मिलता है
उसे बस आँसुओं के हार का उपहार मिलता है
Written by: Shanti Swaroop