Lyrics

हमको रोज़ बाँहों में भरना पास बुला के दूर करना सीख रहे वो भी प्यार करना सीख रहे वो भी प्यार करना शायरों की महफ़िलों के दर ना आशिक़ हो तो फिर कैसा डरना? सीख रहे वो भी प्यार करना सीख रहे वो भी प्यार करना चाँद के पास था वो सपना अब तो घर भी दूर लगता है अपना होश में है, पर कोई असर ना समझे तुझको, तू भी अब ठहरना समझे तुझको, तू भी अब ठहरना हमको भी सिखा दो प्यार करना हमको भी सिखा दो प्यार करना हमको भी सिखा दो प्यार करना माना, दूर है वो कहीं घबराई सी उसकी कमी भी इश्क़ करने आई थी माना, दूर है वो कहीं घबराई सी उसकी कमी भी इश्क़ करने आई थी माना, दूर है वो कहीं घबराई सी उसकी कमी भी इश्क़ करने आई थी आई थी, आई थी माना, दूर है वो कहीं घबराई सी उसकी कमी भी इश्क़ करने आई थी माना, दूर है वो कहीं घबराई सी उसकी कमी भी इश्क़ करने आई थी आई थी, आई थी, आई थी आई थी, आई थी, आई थी
Writer(s): Deepak Rathore Lyrics powered by www.musixmatch.com
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