album cover
Ghar
10,359
Bollywood
Ghar was released on September 28, 2013 by Sony Music Entertainment India Pvt. Ltd. as a part of the album Coke Studio India Season 3: Episode 7
album cover
Release DateSeptember 28, 2013
LabelSony Music Entertainment India Pvt. Ltd.
Melodicness
Acousticness
Valence
Danceability
Energy
BPM148

Music Video

Music Video

Credits

PERFORMING ARTISTS
Hitesh Sonik
Hitesh Sonik
Performer
Piyush Mishra
Piyush Mishra
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Piyush Mishra
Piyush Mishra
Lyrics

Lyrics

झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु-झु
के उजला ही उजला शहर होगा
जिसमें हम तुम बनायेंगे घर
दोनों रहेंगे कबूतर से
जिसमे होगा ना बाज़ुओं का डर
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु
मख़मल की नाज़ुक दीवारें भी होंगी
मख़मल की नाज़ुक दीवारें भी होंगी
कोनों में बैठी बहारें भी होंगी
खिड़की की चौकट भी रेशम सी होंगी
चंदन सी लिपटी हां सेहन भी होगी
संदल की खुशबू भी टपकेगी छत से
फूलों का दरवाजा खोलेंगे झट से
डोलेंगे महकी हवा के हां झोंके
आँखों को छू लेंगे गर्दन भिगों के
आंगन में बिखरे पड़े होंगे पत्ते
सूखे से नाज़ुक से पीलें छिटक के
पावों को नंगा जो करके चलेंगे
चरपर की आवाज़ से वो बजेंगे
कोयल कहेंगी की मैं हूँ सहेली
मैना कहेंगी नहीं तू अकेली
बत्तख भी चोंचो में हसती सी होगी
बगुले कहेंगे सुनो अब उठो भी
हम फिर भी होंगे पड़े आँख मूंदे
गलियों की लडियां दिलों में हां गुंधे
भूलेंगे उस पार के उस जहाँ को
जाती है कोई डगर, जाती है कोई डगर
के चांदी के तारों से रातें बुनेंगे तो चमकीली होगी सेहर
उजला ही उजला शहर होगा
जिसमें हम तुम बनायेंगे घर
आओगे थक कर जो हां साथी मेरे
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु
कांधे पे लूगीं टिका साथी मेरे
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु
बोलोगे तुम जो भी हाँ साथी मेरे
मोती सा लूगीं उठा साथी मेरे
पलकों की कोनों पे आये जो आंसू
मैं क्यूँ डारूंगी बता साथी मेरे
उंगली तुम्हारी तो पहले से होगी
गालों पे मेरे तो हां साथी मेरे
तुम हस पड़ोगे तो मैं हस पडूंगी
तुम रों पड़ोगे तो मैं रों पडूंगी
लेकिन मेरी बात इक याद रखना
मुझको हमेशा ही हां साथ रखना
जुड़ती जहा ये ज़मीन आसमान से
हद हां हमारी शुरू हो वहां से
तारों को छू ले ज़रा सा संभल के
उस चाँद पर झट से जाए फिसल के
बह जाए दोनों हवा से निकल के
सूरज भी देखें हमें और जल के
होगा नहीं हम पे मालूम साथी
तीनो जहां का असर
तीनो जहां का असर
के राहों को राहें बतायेंगे साथी हम
ऐसा हां होगा सफ़र
उजला ही उजला शहर होगा
जिसमें हम तुम बनायेंगे घर
दोनों रहेंगे कबूतर से
जिसमे होगा ना बाज़ुओं का डर
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु झु-झु-झु-झु
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु झु-झु-झु-झु
झु-झु-झु झु-झु-झु-झु-झु-झु-झु
Written by: Hitesh Sonik, Piyush Mishra
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