歌词
तुम-तुम-त-न, तुम-तुम-त-न
तुम-तुम-त-न, तुम-तुम-त-न
तुम-तुम-त-न, तुम-तुम-त-न
तुम-तुम-त-न, तुम-तुम-त-न
तुम-तुम-त-न, तुम-तुम-त-न
तुम-तुम-त-न, तुम-तुम-त-न
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्बवनप्रियवासिनि हासरते
शिखरिशिरोमणितुङ्गहिमालयशृङ्गनिजालयमध्यगते
मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते
सकलविलासकलानिलय क्रमकेलिचलत्कलहंसकुले
अलिकुल सङ्कुल कुवलय मण्डल मौलिमिलद्भकुलालि कुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
कनकलसत्कल सिन्धुजलैरनुसिञ्चिनुतेगुणरङ्गभुवं
भजति स किं न शचीकुचकुम्भ तटीपरिरम्भ सुखानुभवम्
तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवं
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
अयि मयि दीनदयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे
अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथाऽनुभितासिरते
यदुचितमत्र भवत्युररि कुरुतादुरुतापमपाकुरु ते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
Written by: Adi Shankara


