Lyrics
अपनी आँखों के समंदर मैं उतर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर मैं उतर जाने दे
तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर मैं उतर जाने दे
ऐ नये दोस्त मैं समझूँगा तुझे भी अपना
ऐ नये दोस्त मैं समझूँगा तुझे भी अपना
पहले माज़ी का कोई ज़ख़्म तो भर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर मैं उतर जाने दे
तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर मैं उतर जाने दे
आग दुनिया की लगाई हुई बूझ जाएगी
आग दुनिया की लगाई हुई बूझ जाएगी
कोई आँसु मेरे दामन पे बिखर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर मैं उतर जाने दे
ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको
ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको
सोचता हूँ की कहू तुझसे मगर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर मैं उतर जाने दे
तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर मैं उतर जाने दे
Writer(s): Jagjit Singh Dhiman, Nazir Bagri
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