Listen to Kahin Door Jab Din Dhal Jaye (From "Anand") by Mukesh

Kahin Door Jab Din Dhal Jaye (From "Anand")

Mukesh

Bollywood

Lyrics

कहीं दूर जब दिन ढल जाए साँझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आए मेरे ख़यालों के आँगन में कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए कहीं दूर जब दिन ढल जाए साँझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आए कभी यूँ ही जब हुई बोझल साँसें भर आई बैठे-बैठे जब यूँ ही आँखें तभी मचल के, प्यार से चल के छुए कोई मुझे, पर नज़र ना आए, नज़र ना आए कहीं दूर जब दिन ढल जाए साँझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आए कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते कहीं पे निकल आए जन्मों के नाते है मीठी उलझन, बैरी अपना मन अपना ही हो के सहे दर्द पराए, दर्द पराए कहीं दूर जब दिन ढल जाए साँझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आए मेरे ख़यालों के आँगन में कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए कहीं दूर जब दिन ढल जाए साँझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आए
Writer(s): Yogesh, Salil Choudhury Lyrics powered by www.musixmatch.com
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