Lyrics
दर्पण को देखा तूने जब-जब किया सिंगार
दर्पण को देखा तूने जब-जब किया सिंगार
फूलों को देखा तूने जब-जब आई बहार
एक बदनसीब हूँ मैं, एक बदनसीब हूँ मैं
एक बदनसीब हूँ मैं, मुझे नहीं देखा एक बार
दर्पण को देखा तूने जब-जब किया सिंगार
सूरज की पहली किरणों को देखा तूने अलसाते हुए
सूरज की पहली किरणों को देखा तूने अलसाते हुए
रातों में तारों को देखा सपनों में खो जाते हुए
यूँ किसी ना किसी बहाने
यूँ किसी ना किसी बहाने
तूने देखा सब संसार
तूने देखा सब संसार
दर्पण को देखा तूने जब-जब किया सिंगार
काजल की क़िस्मत क्या कहिए, नैनों में तूने बसाया है
काजल की क़िस्मत क्या कहिए, नैनों में तूने बसाया है
आँचल की क़िस्मत क्या कहिए, तूने अंग लगाया है
हसरत ही रही मेरे दिल में
हसरत ही रही मेरे दिल में
बनूँ तेरे गले का हार
बनूँ तेरे गले का हार
दर्पण को देखा तूने जब-जब किया सिंगार
फूलों को देखा तूने जब-जब आई बहार
एक बदनसीब हूँ मैं, एक बदनसीब हूँ मैं
एक बदनसीब हूँ मैं, मुझे नहीं देखा एक बार
दर्पण को देखा तूने जब-जब किया सिंगार
Writer(s): Anandji V Shah, Kalyanji Virji Shah, Indeewar
Lyrics powered by www.musixmatch.com