Lyrics
मेरे मुसाफ़िर चलो
ज़रा बीेते पल से आगे झांक लें
जो ना मिल सका
उसे ज़िंदगी का हासिल क्या कहें!
सुन रहा हूँ गूँज धड़कन की
कैसे दिल को पत्थर मान लूँ?
कह रही है साँसों की क़सम
"बेख़बर ज़िंदा हो तुम"
Oh-oh, ज़िंदा हो तुम
ज़िंदा हूँ मैं
ज़िंदा हूँ मैं
Oh-oh, ज़िंदा हो तुम
ज़िंदा हूँ मैं
ज़िंदा हूँ मैं
दायरों में घुमते हो
किस घड़ी को ढूँढते हो?
एक पल को ठहर जाना
जो कभी फ़ुर्सत मिले तो
किनसे शिकवा है ग़मों का?
किनसे हैं खुशियाँ जुड़ी?
जैसे भी गुज़रे थे दिन वो
ज़िंदगी में अब नहीं
आज फिर साँसों की धुन है
आज फिर ज़िंदा हो तुम
Oh-oh, ज़िंदा हो तुम
ज़िंदा हूँ मैं
ज़िंदा हूँ मैं
Oh-oh, ज़िंदा हो तुम
ज़िंदा हूँ मैं
ज़िंदा हूँ मैं
Oh-oh, ज़िंदा हो तुम
ज़िंदा हूँ मैं
ज़िंदा हूँ...
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