Lyrics

हाँ, हो गई ग़लती मुझसे, मैं जानता हूँ (जानता हूँ) पर अब भी तुझे मैं अपनी जान मानता हूँ एक आख़िरी मौक़ा दे मुझे आज भी मैं तुझे अपनी शान मानता हूँ (मानता हूँ) सिर्फ़ साँसें ही तो बाक़ी हैं, जब तेरी याद आती है याद में तेरी साथ ये भी छोड़ जाती है ग़लती तो सबसे होती है, ग़लती मुझसे भी हो गई अब माफ़ भी कर दे मुझे, क्यूँ दूर इतना हो गई? एक ग़लती के लिए क्यूँ साथ छोड़ गई तू? क्यूँ मुँह मोड़ गई तू? क्यूँ बेनिशान सा निशान छोड़ गई तू? हाँ, हो गई ग़लती मुझसे, मैं जानता हूँ पर अब भी तुझे मैं अपनी जान मानता हूँ जान मानता हूँ (जान मानता हूँ) एक आख़िरी मौक़ा दे मुझे आज भी मैं तुझे अपनी शान मानता हूँ शान मानता हूँ सोचा कुछ पीकर तुझे भुला दूँगा पर पीकर भी याद आई तू इतनी सी बात पर छोड़ गई जाना ही था तो आई क्यूँ थी? जीना मेरा आसान कर तू मिल के ये एहसान कर याद तेरी सताती है अब आजा बात मान कर जब-जब तू चली जाती है ऐसी नमी छा जाती है जैसे गिर पड़े हों बादल मुझ पर एक आँच दिल पे आ जाती है जब आँखें बंद होती हैं, बस तू साथ होती है तेरी यादों के तकिए पे बस रात मेरी सोती है (सोती है) तू क्यूँ दूर है यूँ मुझसे? तुझे चाहता हूँ पूरे दिल से, सुन ले मेरी आरज़ू तू ही मेरी जान है, तू ही मेरा जहान है तू ही है सब कुछ मेरा, अधूरा तेरे बिन दिल ये मेरा तू क्यूँ समझती नहीं? ये दिल है सिर्फ़ तेरा हाँ, हो गई ग़लती मुझसे, मैं जानता हूँ पर अब भी तुझे मैं अपनी जान मानता हूँ एक आख़िरी मौक़ा दे मुझे आज भी मैं तुझे अपनी शान मानता हूँ (मानता हूँ, मानता हूँ) शान मानता हूँ (मानता हूँ, मानता हूँ) जान मानता हूँ (जान मानता हूँ, जान मानता हूँ)
Writer(s): Aktar Hussain, Shivai Vyas Lyrics powered by www.musixmatch.com
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