Lyrics
सँभालो ज़रा अपना आँचल गुलाबी
Hmm, सँभालों ज़रा अपना आँचल गुलाबी
दिखाओ ना हँस-हँस के आँखें शराबी
सुलूक इनका दुनिया में अच्छा नहीं है
हसीनों पे हमको भरोसा नहीं है
उठती हैं नज़रें तो गिरती है बिजली
अदा जो भी निकली, क़यामत ही निकली
जहाँ तुमने चेहरे से आँचल हटाया
वहीं अहल-ए-दिल का तमाशा बनाया
ख़ुदा के लिए हम पे डोरे ना डालो
हमें ज़िंदा रहने दो, ऐ, हुस्नवालों
काली-काली ज़ुल्फ़ों के फंदे ना डालो
काली-काली ज़ुल्फ़ों के फंदे ना डालो
हमें ज़िंदा रहने दो, ऐ, हुस्नवालों
Writer(s): Nusrat Fateh Ali Khan, Farrukh Ali Khan
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