Lyrics

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिये आ अब तक दिल-ए-खुशफ़हम को हैं तुझ से उम्मीदें ये आखिरी शम्में भी बुझाने के लिये आ रंजिश ही सही... इक उम्र से हूँ लज्ज़त-ए-गिरया से भी महरूम ऐ राहत-ए-जां मुझको रुलाने के लिये आ रंजिश ही सही... कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मोहब्बत का भरम रख तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिये आ रंजिश ही सही... माना के मोहब्बत का छुपाना है मोहब्बत चुपके से किसी रोज़ जताने के लिए आ रंजिश ही सही... जैसे तुम्हें आते हैं ना आने के बहाने ऐसे ही किसी रोज़ न जाने के लिए आ रंजिश ही सही... पहले से मरासिम ना सही फिर भी कभी तो रस्म-ओ-रहे दुनिया ही निभाने के लिये आ रंजिश ही सही... किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम तू मुझ से खफा है तो ज़माने के लिये आ रंजिश ही सही...
Writer(s): Mehdi Hassan Lyrics powered by www.musixmatch.com
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